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शिवदान सिंह का लेख ’’भारत में प्रगतिशील साहित्य की आवश्यकता’’ किस पत्रिका में प्रकाशित हुआ था ?
शिवदान सिंह चौहान का 1937 ई. में “विशाल” भारत में एक लेख 'प्रगतिशील साहित्य की आवश्यकता' प्रकाशित हुआ था।
शिवदान सिंह चौहान का 1937 ई. में “विशाल” भारत में एक लेख ‘प्रगतिशील साहित्य की आवश्यकता’ प्रकाशित हुआ था।
See lessनयनयारो की संख्या कितनी है
नयनयारो की संख्या 63 है।
नयनयारो की संख्या 63 है।
See lessनिम्न में से कौनसी रचना रांगेय राघव की नहीं है?
निम्न में से युगधारा रचना रांगेय राघव की नहीं है।
निम्न में से युगधारा रचना रांगेय राघव की नहीं है।
See lessवैष्णव संत रामानंद से रामानुजाचार्य का क्या संबंध था ?
रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानन्द हुए जिनके शिष्य कबीर, रैदास और सूरदास थे।
रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानन्द हुए जिनके शिष्य कबीर, रैदास और सूरदास थे।
See lessछायावाद का प्रबल समर्थक कौन है ?
“सुमित्रानंदन पंत” छायावाद का प्रबल समर्थक है|
“सुमित्रानंदन पंत” छायावाद का प्रबल समर्थक है|
See lessइतिहास और आलोचना पुस्तक के लेखक है?
“नामवर सिंह” इतिहास और आलोचना पुस्तक के लेखक है|
“नामवर सिंह” इतिहास और आलोचना पुस्तक के लेखक है|
See lessआदिकाल को आरंभिक काल की संज्ञा किस के द्वारा दी गई थी?
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 'वीरगाथा काल' तथा इस काल के समय के आधार पर साहित्य का इतिहास लिखने वाले मिश्र बंधुओं ने इसका नाम आरंभिक काल किया और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने बीजवपन काल।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘वीरगाथा काल’ तथा इस काल के समय के आधार पर साहित्य का इतिहास लिखने वाले मिश्र बंधुओं ने इसका नाम आरंभिक काल किया और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने बीजवपन काल।
See lessगोस्वामी तुलसीदास की रचना कवितावली किस भाषा की रचना है?
रामचरितमानस के जैसे ही कवितावली में भी 7 खंड (खण्ड) हैं। ये छंद (छन्द) ब्रजभाषा में लिखे गये हैं और इनकी रचना प्राय: उसी परिपाटी पर की गयी है जिस परिपाटी पर रीतिकाल का अधिकतर रीति-मुक्त काव्य लिखा गया।
रामचरितमानस के जैसे ही कवितावली में भी 7 खंड (खण्ड) हैं। ये छंद (छन्द) ब्रजभाषा में लिखे गये हैं और इनकी रचना प्राय: उसी परिपाटी पर की गयी है जिस परिपाटी पर रीतिकाल का अधिकतर रीति-मुक्त काव्य लिखा गया।
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