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  1. शिवदान सिंह चौहान का 1937 ई. में “विशाल” भारत में एक लेख 'प्रगतिशील साहित्य की आवश्यकता' प्रकाशित हुआ था।

    शिवदान सिंह चौहान का 1937 ई. में “विशाल” भारत में एक लेख ‘प्रगतिशील साहित्य की आवश्यकता’ प्रकाशित हुआ था।

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  2. निम्न में से युगधारा रचना रांगेय राघव की नहीं है।

    निम्न में से युगधारा रचना रांगेय राघव की नहीं है।

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  3. रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानन्द हुए जिनके शिष्य कबीर, रैदास और सूरदास थे।

    रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानन्द हुए जिनके शिष्य कबीर, रैदास और सूरदास थे।

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  4. “सुमित्रानंदन पंत” छायावाद का प्रबल समर्थक है|

    “सुमित्रानंदन पंत” छायावाद का प्रबल समर्थक है|

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  5. “नामवर सिंह” इतिहास और आलोचना पुस्तक के लेखक है|

    “नामवर सिंह” इतिहास और आलोचना पुस्तक के लेखक है|

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  6. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 'वीरगाथा काल' तथा इस काल के समय के आधार पर साहित्य का इतिहास लिखने वाले मिश्र बंधुओं ने इसका नाम आरंभिक काल किया और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने बीजवपन काल।

    आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘वीरगाथा काल’ तथा इस काल के समय के आधार पर साहित्य का इतिहास लिखने वाले मिश्र बंधुओं ने इसका नाम आरंभिक काल किया और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने बीजवपन काल।

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  7. रामचरितमानस के जैसे ही कवितावली में भी 7 खंड (खण्ड) हैं। ये छंद (छन्द) ब्रजभाषा में लिखे गये हैं और इनकी रचना प्राय: उसी परिपाटी पर की गयी है जिस परिपाटी पर रीतिकाल का अधिकतर रीति-मुक्त काव्य लिखा गया।

    रामचरितमानस के जैसे ही कवितावली में भी 7 खंड (खण्ड) हैं। ये छंद (छन्द) ब्रजभाषा में लिखे गये हैं और इनकी रचना प्राय: उसी परिपाटी पर की गयी है जिस परिपाटी पर रीतिकाल का अधिकतर रीति-मुक्त काव्य लिखा गया।

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