Hello, Hindi Friend!

Please Sign up to join our community!

Welcome Back,

Please sign in to your account!

Forgot Password,

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.

Sorry, you do not have permission to ask a question, You must login to ask a question. Please subscribe to paid membership

Sorry, you do not have permission to ask a question, You must login to ask a question. Please subscribe to paid membership

Please briefly explain why you feel this question should be reported.

Please briefly explain why you feel this answer should be reported.

Please briefly explain why you feel this user should be reported.

  1. 1943-44 में बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश, भारत का पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा) एक भयानक अकाल पड़ा था जिसमें लगभग 30 लाख लोगों ने भूख से तड़पकर अपनी जान जान गंवाई थी। ये द्वितीय विश्वयुद्ध का समय था। माना जाता है कि अकाल का कारण अनाज के उत्पादन का घटना था, जबकि बंगाल से लगातार अनाज का निर्यात हो रहा थRead more

    1943-44 में बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश, भारत का पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा) एक भयानक अकाल पड़ा था जिसमें लगभग 30 लाख लोगों ने भूख से तड़पकर अपनी जान जान गंवाई थी। ये द्वितीय विश्वयुद्ध का समय था। माना जाता है कि अकाल का कारण अनाज के उत्पादन का घटना था, जबकि बंगाल से लगातार अनाज का निर्यात हो रहा था

    See less
  2. This answer was edited.

    'आचार्य शुक्ल' ने रीतिकाल का प्रर्वतक आचार्य चिन्तामणी को माना है। इस काल की मुख्य विशेषता श्रृंगारिकता एवं रीति निरूपण है। रीतिकाल का अंतिम कवि 'ग्वाल' को माना जाता है।

    ‘आचार्य शुक्ल’ ने रीतिकाल का प्रर्वतक आचार्य चिन्तामणी को माना है। इस काल की मुख्य विशेषता श्रृंगारिकता एवं रीति निरूपण है। रीतिकाल का अंतिम कवि ‘ग्वाल’ को माना जाता है।

    See less
  3. प्रयोगवाद के कवियों में हम सर्वप्रथम तारसप्तक के कवियों को गिनते हैं और इसके प्रवर्तक कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय ठहरते हैं।

    प्रयोगवाद के कवियों में हम सर्वप्रथम तारसप्तक के कवियों को गिनते हैं और इसके प्रवर्तक कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय ठहरते हैं।

    See less
  4. "ठेठ अवधी, दोहा चौपाई" जायसी की भाषा और शैली है। मलिक मुहम्मद जायसी' अवधी भाषा के प्रमुख कवियों में से एक हैं।

    “ठेठ अवधी, दोहा चौपाई” जायसी की भाषा और शैली है। मलिक मुहम्मद जायसी’ अवधी भाषा के प्रमुख कवियों में से एक हैं।

    See less