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प्रगतिशील और प्रगतिवाद में क्या अंतर है?
प्रगतिवाद और प्रगतिशील का यह कृत्रिम भेद प्रगतिवाद को संकीर्ण और संकुचित रूप में देखता है, जबकि प्रगतिशील कविता को व्यापक और उदार रूप में। डॉ. नामवर सिंह ने इस भेद को अस्वीकार करते हुए लिखा है कि 'जिस तरह छायावादी कविता और छायावाद भिन्न नहीं है, उसी तरह प्रगतिवाद और प्रगतिशील साहित्य भी भिन्न नहीं हRead more
प्रगतिवाद और प्रगतिशील का यह कृत्रिम भेद प्रगतिवाद को संकीर्ण और संकुचित रूप में देखता है, जबकि प्रगतिशील कविता को व्यापक और उदार रूप में। डॉ. नामवर सिंह ने इस भेद को अस्वीकार करते हुए लिखा है कि ‘जिस तरह छायावादी कविता और छायावाद भिन्न नहीं है, उसी तरह प्रगतिवाद और प्रगतिशील साहित्य भी भिन्न नहीं है।
See lessलंदन में गठित ’भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ’ का नेतृत्व किया था ?
लंदन में गठित "भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ" का नेतृत्व मुल्कराज आनंद व सज्जाद जहीर ने किया था।
लंदन में गठित “भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ” का नेतृत्व मुल्कराज आनंद व सज्जाद जहीर ने किया था।
See lessफणीश्वर नाथ रेणु की कहानी लाल पान की बेगम का सारांश लिखिए?
प्रस्तुत कहानी लाल पान की बेगम फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित ग्रामीण जीवन की कहानी है। इसमें कहानीकार ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि गांव में लोग किस तरह एक – दूसरे के साथ ईर्ष्या – द्वेष, राग – विराग, आशा – निराशा तथा हर्ष – विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते हैं।
प्रस्तुत कहानी लाल पान की बेगम फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित ग्रामीण जीवन की कहानी है। इसमें कहानीकार ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि गांव में लोग किस तरह एक – दूसरे के साथ ईर्ष्या – द्वेष, राग – विराग, आशा – निराशा तथा हर्ष – विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते हैं।
See lessशिवा शौर्य किसकी रचना है?
शिवा शौर्य जिसके रचयिता ‘महाकवि भूषण’ है।
शिवा शौर्य जिसके रचयिता ‘महाकवि भूषण’ है।
See lessभारतेन्दु युग की प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए। अथवा प्रतापनारायण मिश्र ने किस प्रसिद्ध मासिक पत्र का सम्पादन किया?
भारतेन्दु युग की प्रमुख पत्रिकाएँ "ब्राह्मण मासिक पत्र" (प्रतापनारायण मिश्र द्वारा सम्पादित), "हिन्दी प्रदीप" (बालकृष्ण भट्ट द्वारा सम्पादित), "आनन्द कादम्बिनी" (बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ द्वारा सम्पादित) हैं।
भारतेन्दु युग की प्रमुख पत्रिकाएँ “ब्राह्मण मासिक पत्र” (प्रतापनारायण मिश्र द्वारा सम्पादित), “हिन्दी प्रदीप” (बालकृष्ण भट्ट द्वारा सम्पादित), “आनन्द कादम्बिनी” (बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ द्वारा सम्पादित) हैं।
पृथ्वीराज रासो की दो भाषागत विशेषताएं क्या है?
पृथ्वीराज रासो की दो भाषागत विशेषताएँ लिखिएपृथ्वीराज रासो एक अन्य प्रबंध काव्य है। रासो काव्य में जिस भाषा का प्रयोग हुआ है उसे विद्वानों ने डिंगल पिंगल का नाम दिया है। डिंगल राजस्थानी और अपभ्रंश का मिश्रित रूप है। ... दूसरी ओर पिंगल भाषा अपभ्रंश और ब्रज का मिश्रित रूप है।
पृथ्वीराज रासो की दो भाषागत विशेषताएँ लिखिएपृथ्वीराज रासो एक अन्य प्रबंध काव्य है। रासो काव्य में जिस भाषा का प्रयोग हुआ है उसे विद्वानों ने डिंगल पिंगल का नाम दिया है। डिंगल राजस्थानी और अपभ्रंश का मिश्रित रूप है। … दूसरी ओर पिंगल भाषा अपभ्रंश और ब्रज का मिश्रित रूप है।
See lessनिम्नलिखित में से कौन-सी कृति (ग्रंथ) रीतिकाल में लिखी गई है?
ग्रंथ "बिहारी सतसई" रीतिकाल में लिखी गई है।
ग्रंथ “बिहारी सतसई“ रीतिकाल में लिखी गई है।
See lessश्रृंगार और लक्षण ग्रंथों की रचना किस काल में की गई?
रीतिकाल
रीतिकाल
See lessहिंदी आलोचना के प्रथम इतिहासकार हैं-
रामचंद्र शुक्ल बीसबी शताब्दी के हिंदी के प्रमुख साहित्यकार थे। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों में हिंदी साहित्य का इतिहास प्रमुख है, जिसका हिंदी पाठ्यक्रम को निर्धारित करने में प्रमुख स्थान है।
रामचंद्र शुक्ल बीसबी शताब्दी के हिंदी के प्रमुख साहित्यकार थे। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों में हिंदी साहित्य का इतिहास प्रमुख है, जिसका हिंदी पाठ्यक्रम को निर्धारित करने में प्रमुख स्थान है।
See lessअपभ्रंश का पहला कवि किसे माना जाता है?
"स्वयंभू" अपभ्रंश भाषा के महाकवि थे। स्वयंभू की उपलब्ध रचनाओं से उनके विषय में इतना ही ज्ञात होता है कि उनके पिता का नाम मारुतदेव और माता का पद्मिनी था।
“स्वयंभू” अपभ्रंश भाषा के महाकवि थे। स्वयंभू की उपलब्ध रचनाओं से उनके विषय में इतना ही ज्ञात होता है कि उनके पिता का नाम मारुतदेव और माता का पद्मिनी था।
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