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  1. "लट लोल कपोल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै। अंग अंग तरंग उठै दुति की , पहिरे नौ रूप अवै धर च्वै ” में "व्यतिरेक" अलंकार है।

    “लट लोल कपोल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै। अंग अंग तरंग उठै दुति की , पहिरे नौ रूप अवै धर च्वै ” में “व्यतिरेक” अलंकार है।

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  2. "प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” ब्रजनाथ की पंक्ति है।

    “प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” ब्रजनाथ की पंक्ति है।

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  3. This answer was edited.

    ‘सौन्दर्यंलंकार:' "कुंतक" की पंक्ति है।  

    ‘सौन्दर्यंलंकार:’ “कुंतक” की पंक्ति है।

     

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  4. "भए अति निठुर पहचानि डारी, याही दुख हमै जक लागी हाय हाय है।" यह पंक्ति ठाकुर की है।

    “भए अति निठुर पहचानि डारी, याही दुख हमै जक लागी हाय हाय है।” यह पंक्ति ठाकुर की है।

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  5. 'मुंशी प्रेमचन्द्र'‘हंस’ पत्रिका के संस्थापक थे|

    ‘मुंशी प्रेमचन्द्र’‘हंस’ पत्रिका के संस्थापक थे|

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  6. कबीर सम्राट सिकंदर लोदी के समकालीन थे|

    कबीर सम्राट सिकंदर लोदी के समकालीन थे|

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