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"लट लोल कपोल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै। अंग अंग तरंग उठै दुति की , पहिरे नौ रूप अवै धर च्वै ” में अलंकार है:
"लट लोल कपोल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै। अंग अंग तरंग उठै दुति की , पहिरे नौ रूप अवै धर च्वै ” में "व्यतिरेक" अलंकार है।
“लट लोल कपोल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै। अंग अंग तरंग उठै दुति की , पहिरे नौ रूप अवै धर च्वै ” में “व्यतिरेक” अलंकार है।
See less"प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” किसकी पंक्ति है:
"प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” ब्रजनाथ की पंक्ति है।
“प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” ब्रजनाथ की पंक्ति है।
See less‘सौन्दर्यंलंकार:' किनकी पंक्ति है
‘सौन्दर्यंलंकार:' "कुंतक" की पंक्ति है।
‘सौन्दर्यंलंकार:’ “कुंतक” की पंक्ति है।
"भए अति निठुर पहचानि डारी, याही दुख हमै जक लागी हाय हाय है।" यह पंक्ति किसकी है।
"भए अति निठुर पहचानि डारी, याही दुख हमै जक लागी हाय हाय है।" यह पंक्ति ठाकुर की है।
“भए अति निठुर पहचानि डारी, याही दुख हमै जक लागी हाय हाय है।” यह पंक्ति ठाकुर की है।
See less‘हंस’ पत्रिका के संस्थापक का नाम बताइए।
'मुंशी प्रेमचन्द्र'‘हंस’ पत्रिका के संस्थापक थे|
‘मुंशी प्रेमचन्द्र’‘हंस’ पत्रिका के संस्थापक थे|
See lessकबीर किस शासक के समकालीन थे ?
कबीर सम्राट सिकंदर लोदी के समकालीन थे|
कबीर सम्राट सिकंदर लोदी के समकालीन थे|
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