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  1. हिंदी आलोचना की पहली पुस्तक इनमे से नटक है।

    हिंदी आलोचना की पहली पुस्तक इनमे से नटक

    है।

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  2. "हेमचन्द्र" अपभ्रंश के भाषिक और व्याकरणिक रूप का स्पष्ट और मानक विवेचन किया । प्राकृत व्याकरण इनका प्रसिद्ध व्याकरण ग्रन्थ है।

    “हेमचन्द्र” अपभ्रंश के भाषिक और व्याकरणिक रूप का स्पष्ट और मानक विवेचन किया । प्राकृत व्याकरण इनका प्रसिद्ध व्याकरण ग्रन्थ है।

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  3. 'हित तरंगिणी' "कृपाराम" की रचना है।

    ‘हित तरंगिणी’ “कृपाराम” की रचना है।

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  4. "सुमित्रानंदन पंत" को प्रगतिवाद का प्रवर्तक माना गया है।

    “सुमित्रानंदन पंत” को प्रगतिवाद का प्रवर्तक माना गया है।

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  5. सन् 1947 में अज्ञेय ने "प्रतीक" पत्रिका का संपादन किया, जिसके माध्यम से प्रयोगवादी काव्यांदोलन को शक्ति मिली ?

    सन् 1947 में अज्ञेय ने “प्रतीक” पत्रिका का संपादन किया, जिसके माध्यम से प्रयोगवादी काव्यांदोलन को शक्ति मिली ?

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  6. उन्होंने 1873 में 'हरिश्चन्द्र मैगजीन',1868 में 'कविवचनसुधा',और 1874 में स्त्री शिक्षा के लिए 'बाला बोधिनी' नामक पत्रिकाएँ निकालीं।

    उन्होंने 1873 में ‘हरिश्चन्द्र मैगजीन’,1868 में ‘कविवचनसुधा’,और 1874 में स्त्री शिक्षा के लिएबाला बोधिनी नामक पत्रिकाएँ निकालीं।
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  7. डॉ. नगेंद्र की "रस सिद्धांत" नामक पुस्तक को साहित्य अकादमी से परिष्कृत किया गया है।

    डॉ. नगेंद्र की “रस सिद्धांत” नामक पुस्तक को साहित्य अकादमी से परिष्कृत किया गया है।

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  8. लाला श्रीनिवास दास के नाटक 'संयोगिता स्वयंवर की प्रेमघन बदरीनारायण द्वारा की गई आलोचना आधुनिक व्यावहारिक आलोचना की शुरुआत मानी जाती है।

    लाला श्रीनिवास दास के नाटक ‘संयोगिता स्वयंवर की प्रेमघन बदरीनारायण द्वारा की गई आलोचना आधुनिक व्यावहारिक आलोचना की शुरुआत मानी जाती है।

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