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मुगल शासक मुहम्मद शाह 'रंगीला' किस संप्रदाय का अनुयायी था?
मुगल शासक मुहम्मद शाह 'रंगीला' शिव नारायण संप्रदाय का अनुयायी था
मुगल शासक मुहम्मद शाह ‘रंगीला’ शिव नारायण संप्रदाय का अनुयायी था
See lessनई कविता के मिथक काव्य नामक आलोचनातमक कृति किस कृतिकार की हैं?
नई कविता के मिथक काव्य नामक आलोचनातमक कृति “सुधीर पचौरी” की है|
नई कविता के मिथक काव्य नामक आलोचनातमक कृति “सुधीर पचौरी” की है|
See lessनानक ने किस धर्म की स्थापना की ?
19 नवंबर 2021 को सिख धर्म की स्थापना “गुरु नानक” ने कि थी |
19 नवंबर 2021 को सिख धर्म की स्थापना “गुरु नानक” ने कि थी |
See lessहिंदी साहित्य के आरंभिक युग को आदिकाल के नाम से किसने अभिहित किया है ?
हिंदी पद्य साहित्य के शुरुआती समय को आदि काल ,आरम्भिक काल,वीर गाथा काल,वीर काल,चारण काल के नामों से जाना जाता है इसे आरम्भिक काल का नाम “डा हजारी प्रसाद द्विवेदी” ने दिया ।
हिंदी पद्य साहित्य के शुरुआती समय को आदि काल ,आरम्भिक काल,वीर गाथा काल,वीर काल,चारण काल के नामों से जाना जाता है इसे आरम्भिक काल का नाम “डा हजारी प्रसाद द्विवेदी” ने दिया ।
See lessपडम चरिउ किसकी रचना है ?
प्रसिद्ध प्रबंध-काव्य "पउम चरिउ" के रचनाकार महाकवि स्वयंभू हैं।
प्रसिद्ध प्रबंध-काव्य “पउम चरिउ” के रचनाकार महाकवि स्वयंभू हैं।
See lessघनानंद किस काव्य – धारा के कवि है ?
घनानंद (१६७३- १७६०) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं। ये 'आनंदघन' नाम स भी प्रसिद्ध हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिमुक्त घनानन्द का समय सं. १७४६ तक माना है।
घनानंद (१६७३- १७६०) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं। ये ‘आनंदघन’ नाम स भी प्रसिद्ध हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिमुक्त घनानन्द का समय सं. १७४६ तक माना है।
See lessसिद्ध-नाथ साहित्य का भाषिक तथा साहित्यिक अवदान क्या हैं ?
सिद्ध एवं नाथ साहित्य में अर्द्ध-मागधी अपभ्रंश का प्रयोग हुआ है जिससे आगे चलकर पूर्वी हिन्दी भाषा का विकास हुआ। सिद्ध एवं नाथ साहित्य में आंतरिक अनुभूतियों को व्यक्त करने हेतु जिस संधा भाषा का प्रयोग हुआ है आगे चलकर भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी संत काव्यधारा में परिलक्षित हुई है।
सिद्ध एवं नाथ साहित्य में अर्द्ध-मागधी अपभ्रंश का प्रयोग हुआ है जिससे आगे चलकर पूर्वी हिन्दी भाषा का विकास हुआ। सिद्ध एवं नाथ साहित्य में आंतरिक अनुभूतियों को व्यक्त करने हेतु जिस संधा भाषा का प्रयोग हुआ है आगे चलकर भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी संत काव्यधारा में परिलक्षित हुई है।
See less‘आख्यायिका शैली’ का पहला उपन्यास कौन सा है?
आख्यायिका शैली का प्रथम उपन्यास श्यामा स्वप्न है।
आख्यायिका शैली का प्रथम उपन्यास श्यामा स्वप्न है।
See lessकिस इतिहासकार ने आदिकाल के धार्मिक साहित्य को हिंदी साहित्य की सीमा से बाहर का माना था?
हिंदी साहित्य के सबसे प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र शुक्ल जी ने आदिकाल के धार्मिक-साहित्य को हिंदी साहित्य की सीमा से बाहर माना था।
हिंदी साहित्य के सबसे प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र शुक्ल जी ने आदिकाल के धार्मिक-साहित्य को हिंदी साहित्य की सीमा से बाहर माना था।
See lessहठयोग को अपनी साधना पद्धति का अनिवार्य अंग किसने बनाया?
हठयोग को अपनी साधना पद्धति का अनिवार्य अंग आदिकाल के नाथों ने बनाया था।
हठयोग को अपनी साधना पद्धति का अनिवार्य अंग आदिकाल के नाथों ने बनाया था।
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