Please Sign up to join our community!
Please sign in to your account!
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
'सृजन' के आधार पर सुभद्रा कुमारी चौहान के कहानी-संग्रह का नाम बताइए।
‘सृजन’ के आधार पर सुभद्रा कुमारी चौहान के कहानी-संग्रह का नाम “बिखरे मोती” है-। जिसका प्रकाशन वर्ष-1904 ई. है।
'जॉर्ज पंचम की नाक' कहानी किसने लिखी है?
'जॉर्ज पंचम की नाक' कहानी “कमलेश्वर " ने लिखी है।
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ कहानी “कमलेश्वर ” ने लिखी है।
राजा निरबंसिया कहानी के लेखक कौन है?
राजा निरबंसिया कहानी के लेखक "कमलेश्वर " है।
राजा निरबंसिया कहानी के लेखक “कमलेश्वर “ है।
राजा निरबंसिया कहानी का प्रकाशन वर्ष क्या है?
कहानी "राजा निरबंसिया" का प्रकाशन वर्ष 1957 ई. है।
कहानी “राजा निरबंसिया” का प्रकाशन वर्ष 1957 ई. है।
लाल पान की बेगम कहानी की मूल संवेदना क्या है स्पष्ट कीजिए?
'लाल पान बाग की बेगम' कहानी हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार लेखक 'फणीश्वर नाथ रेणु' द्वारा लिखी गई है। यह कहानी स्त्री सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि एक स्त्री भी अपने जीवन को अपने इच्छा और अपनी शर्तों पर जीना चाहती है। स्त्री भी आत्मसम्माRead more
‘लाल पान बाग की बेगम’ कहानी हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार लेखक ‘फणीश्वर नाथ रेणु’ द्वारा लिखी गई है। यह कहानी स्त्री सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि एक स्त्री भी अपने जीवन को अपने इच्छा और अपनी शर्तों पर जीना चाहती है। स्त्री भी आत्मसम्मान चाहती है।
See lessदाऊद खाँ क्यों चाहता था कि शहनी हवेली छोड़ते हुए कुछ साथ रख ले?
थानेदार दाऊद खाँ शाहनी का बहुत आभारी और उपकृत है। शाहनी ने समय-समय पर उसकी मदद की थी। अत: वह भी अपनी सलाह से शाहनी को भविष्य के संकटों से निबटने हेतु कुछ नकद साथ रखने को कहता है। उसकी व्यावहारिक बुद्धि जानती है कि संकट के समय में आपके पास पड़ी ख़ुद की पूँजी बड़ी काम आती है। इसी सदिच्छा और आत्मीयता वRead more
थानेदार दाऊद खाँ शाहनी का बहुत आभारी और उपकृत है। शाहनी ने समय-समय पर उसकी मदद की थी। अत: वह भी अपनी सलाह से शाहनी को भविष्य के संकटों से निबटने हेतु कुछ नकद साथ रखने को कहता है। उसकी व्यावहारिक बुद्धि जानती है कि संकट के समय में आपके पास पड़ी ख़ुद की पूँजी बड़ी काम आती है। इसी सदिच्छा और आत्मीयता वश दाऊद खाँ चाहता है कि शाहनी हवेली छोड़ते हुए कुछ नकद पैसे साथ रख ले।
See lessहिंदी की प्रयोगवादी काव्यधारा प्रेरणा स्रोतों के उल्लेख के साथ उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिये?
प्रयोगवादी कवि स्वयं कहते हैं कि 'प्रयोग' उनका साध्य या इष्ट नहीं है, अपितु इस काव्य के धारा के माध्यम से उन्हें जो नवीन या नए सत्य की उपलब्धि हुई, उसे समष्टि तक पहुँचने के चेष्टा करना ही हमारा मूल लक्ष्य है और यही हमारा प्रयोग भी है। इन कवियों ने कविता के भाव जगत के उपेक्षा करके शिल्प तथा वैचित्र्यRead more
प्रयोगवादी कवि स्वयं कहते हैं कि ‘प्रयोग‘ उनका साध्य या इष्ट नहीं है, अपितु इस काव्य के धारा के माध्यम से उन्हें जो नवीन या नए सत्य की उपलब्धि हुई, उसे समष्टि तक पहुँचने के चेष्टा करना ही हमारा मूल लक्ष्य है और यही हमारा प्रयोग भी है। इन कवियों ने कविता के भाव जगत के उपेक्षा करके शिल्प तथा वैचित्र्य विधान की ओर अधिक बल दिया है।
See lessहिंदी साहित्य के ‘आदिकाल’ को ‘आरंभिक काल’ किसने कहा है?
हिंदी साहित्य के ‘आदिकाल’ को ‘आरंभिक काल’ मिश्रबंधुओं ने कहा है।
हिंदी साहित्य के ‘आदिकाल’ को ‘आरंभिक काल’ मिश्रबंधुओं ने कहा है।
See lessप्रयोगवाद का अर्थ क्या होता है?
प्रयोगवाद हिन्दी साहित्य की आधुनिकतम विचारधार है। इसका एकमात्र उद्देश्य प्रगतिवाद के जनवादी दृष्टिकोण का विरोध करना है। प्रयोगवाद कवियों ने काव्य के भावपक्ष एवं कलापक्ष दोनों को ही महत्व दिया है। इन्होंने प्रयोग करके नये प्रतीकों, नये उपमानों एवं नवीन बिम्बों का प्रयोग कर काव्य को नवीन छवि प्रदान कीRead more
प्रयोगवाद हिन्दी साहित्य की आधुनिकतम विचारधार है। इसका एकमात्र उद्देश्य प्रगतिवाद के जनवादी दृष्टिकोण का विरोध करना है। प्रयोगवाद कवियों ने काव्य के भावपक्ष एवं कलापक्ष दोनों को ही महत्व दिया है। इन्होंने प्रयोग करके नये प्रतीकों, नये उपमानों एवं नवीन बिम्बों का प्रयोग कर काव्य को नवीन छवि प्रदान की है। प्रयोगवादी कवि अपनी मानसिक तुष्टि के लिए कविता की रचना करते थे। जीवन और जगत के प्रति अनास्था प्रयोगवाद का एक आवश्यक तत्व है। साम्यवाद के प्रति भी अनास्था उत्पन्न कर देना उसका लक्ष्य है। वह कला को कला के लिए, अपने अहं की अभिव्यक्ति के लिए ही मानता है।
See lessमिश्रबंधु के आलोचना ग्रंथ 'हिंदी नवरत्न' का प्रकाशन वर्ष है
'हिंदी नवरत्न' का प्रकाशन 1910 में हुआ था , जिसके लेखक मिश्रबंधु थे।
‘हिंदी नवरत्न’ का प्रकाशन 1910 में हुआ था , जिसके लेखक मिश्रबंधु थे।
See less