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Raghuvir sahay ka bhavpaksh
रघुवीर सहाय ने अपने काव्य में आम आदमी की पीड़ा व्यक्त की है। ये साठोत्तरी काव्य-लेखन के सशक्त, प्रगतिशील व चेतना-संपन्न रचनाकार हैं। इन्होंने सड़क, चौराहा, दफ़्तर, अखबार, संसद, बस, रेल और बाजार की बेलौस भाषा में कविता लिखी। घर-मोहल्ले के चरित्रों पर कविता लिखकर उन्हें हमारी चेतना का स्थायी नागरिक बनRead more
रघुवीर सहाय ने अपने काव्य में आम आदमी की पीड़ा व्यक्त की है। ये साठोत्तरी काव्य-लेखन के सशक्त, प्रगतिशील व चेतना-संपन्न रचनाकार हैं। इन्होंने सड़क, चौराहा, दफ़्तर, अखबार, संसद, बस, रेल और बाजार की बेलौस भाषा में कविता लिखी। घर-मोहल्ले के चरित्रों पर कविता लिखकर उन्हें हमारी चेतना का स्थायी नागरिक बनाया। हत्या-लूटपाट, राजनीतिक भ्रष्टाचार और छल-छद्म इनकी कविता में उतरकर खोजी पत्रकारिता की सनसनीखेज रपटें नहीं रह जाते, वे आत्मान्वेषण के माध्यम बन जाते हैं।
इन्होंने कविता को एक कहानीपन और नाटकीय वैभव दिया। रघुवीर सहाय ने बतौर पत्रकार और कवि घटनाओं में निहित विडंबना और त्रासदी को देखा। इन्होंने छोटे की महत्ता को स्वीकारा और उन लोगों व उनके अनुभवों को अपनी रचनाओं में स्थान दिया जिन्हें समाज में हाशिए पर रखा जाता है। इन्होंने भारतीय समाज में ताकतवरों की बढ़ती हैसियत व सत्ता के खिलाफ़ भी साहित्य और पत्रकारिता के पाठकों का ध्यान खींचा।
See lessश्रृंगार और लक्षण ग्रंथों की रचना किस काल में की गई?
'श्रृंगार निर्णय' का रचनाकाल संवत् 1807 है। इस ग्रंथ में श्रृंगार रस अर्थात नायिकाभेद, प्रेम, रस और संयोग-वियोग आदि विषयों का वर्णन किया गया है। साथ ही 'रस सारांश' ग्रंथ में रसों का विस्तार से विवेचन किया गया है। इन आचार्यों के अतिरिक्त भूषण, सुखदेव मिश्र, सूरति मिश्र, श्रीपति आदि और भी कवि हैं जिन्Read more
‘श्रृंगार निर्णय‘ का रचनाकाल संवत् 1807 है। इस ग्रंथ में श्रृंगार रस अर्थात नायिकाभेद, प्रेम, रस और संयोग–वियोग आदि विषयों का वर्णन किया गया है। साथ ही ‘रस सारांश‘ ग्रंथ में रसों का विस्तार से विवेचन किया गया है। इन आचार्यों के अतिरिक्त भूषण, सुखदेव मिश्र, सूरति मिश्र, श्रीपति आदि और भी कवि हैं जिन्होंने लक्षण ग्रंथों की रचना की। Read More
See less“पपीहा जब पूछे पीव कहाँ” – पंक्ति किसके द्वारा रचित है ?
"पपीहा जब पूछे पीव कहाँ" पंक्ति प्रतापनारायण मिश्र द्वारा रचित है।
“पपीहा जब पूछे पीव कहाँ” पंक्ति प्रतापनारायण मिश्र द्वारा रचित है।
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