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  1. कृपाराम (16 वीं शताब्दी) : हिन्दी काव्यशास्त्र के प्रथम काव्यशास्त्री थे। हित-तरंगिणी इनकी प्रसिध रचना है जिसे रीतिकाल की भी प्रथम रचना माना जाता है। इसका रचनाकाल 1541 ई० माना गया है, इस रचना में 5 तरंग (अध्याय को तरंग कहा गया है) और इसमें 400 सौ छंद है। यह नायिका भेद से संबंधित रचना है।

    कृपाराम (16 वीं शताब्दी) : हिन्दी काव्यशास्त्र के प्रथम काव्यशास्त्री थे। हिततरंगिणी इनकी प्रसिध रचना है जिसे रीतिकाल की भी प्रथम रचना माना जाता है। इसका रचनाकाल 1541 ई० माना गया है, इस रचना में 5 तरंग (अध्याय को तरंग कहा गया है) और इसमें 400 सौ छंद है। यह नायिका भेद से संबंधित रचना है।

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  2. डॉ. हरिश्चंद्र वर्मा ने आदिकाल को संक्रमणकाल कहा है अधिक जानकारी के लिए आप मेरा यह आदिकाल के नामकरण  नामक ब्लॉग देख सकते हैं जिसमें हमने विचार प्रकट करते हुए विभिन्न विद्धवनों के मत को एकत्र किया है।

    डॉ. हरिश्चंद्र वर्मा ने आदिकाल को संक्रमणकाल कहा है अधिक जानकारी के लिए आप मेरा यह आदिकाल के नामकरण  नामक ब्लॉग देख सकते हैं जिसमें हमने विचार प्रकट करते हुए विभिन्न विद्धवनों के मत को एकत्र किया है।

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  3. यूँ तो चरित, आचार, रास, फागु आदि सभी शैलियों में जैन साहित्य रचा गया है। लेकिन सबसे लोकप्रिय काव्य शैली जैन साहित्य में रास ही है।

    यूँ तो चरित, आचार, रास, फागु आदि सभी शैलियों में जैन साहित्य रचा गया है। लेकिन सबसे लोकप्रिय काव्य शैली जैन साहित्य में रास ही है।

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  4. 1975 से विभिन्न देशों जैसे मॉरीशस, यूनाइटेड किंगडम, त्रिनिदाद और टोबैगो, संयुक्त राज्य अमेरिका ने विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया है। 10 जनवरी 2006 को पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा विश्व हिंदी दिवस मनाया गया था और जब से इसे वैश्विक भाषा के रूप में प्रचारित करने के लिए 10 जनवरीRead more

    1975 से विभिन्न देशों जैसे मॉरीशस, यूनाइटेड किंगडम, त्रिनिदाद और टोबैगो, संयुक्त राज्य अमेरिका ने विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया है। 10 जनवरी 2006 को पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा विश्व हिंदी दिवस मनाया गया था और जब से इसे वैश्विक भाषा के रूप में प्रचारित करने के लिए 10 जनवरी को विशेष दिवस मनाया जाता है।

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