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”कविता के नए प्रतिमान”में किस लेखक को केंद्र में रखकर आलोचक हिंदी कविता को समझने का प्रयास किया?
"कविता के नए प्रतिमान" में मुक्तिबोध को केंद्र में रखकर आलोचक हिंदी कविता को समझने का प्रयास किया।
“कविता के नए प्रतिमान” में मुक्तिबोध को केंद्र में रखकर आलोचक हिंदी कविता को समझने का प्रयास किया।
शिवा शौर्य किसकी रचना है?
प्रस्तुत पद्यांश "शिवा शौर्य" शीर्षक पाठ से लिया गया है जिसके रचयिता "महाकवि भूषण " हैं ।
प्रस्तुत पद्यांश “शिवा शौर्य” शीर्षक पाठ से लिया गया है जिसके रचयिता “महाकवि भूषण ” हैं ।
See less‘पूस की रात’ कहानी के पात्रों के नाम क्या हैं?
"पूस की रात" कहानी के पात्रों के नाम है- मुन्नी को उन पैसों से कंबल खरीदने थे ताकि “पूस की रात” में ठंड से बचा जा सके। पत्नी से तीखी बहस के बाद आखिर हल्कू सहना को पैसे दे देता है। नतीजतन, कंबल के अभाव में ठिठुरते हुए रात काटनी पड़ती है। हल्कू अपने खेत को नीलगायों से बचाने के लिए रातभर पहरेदारी करतRead more
“पूस की रात” कहानी के पात्रों के नाम है-
मुन्नी को उन पैसों से कंबल खरीदने थे ताकि “पूस की रात” में ठंड से बचा जा सके। पत्नी से तीखी बहस के बाद आखिर हल्कू सहना को पैसे दे देता है। नतीजतन, कंबल के अभाव में ठिठुरते हुए रात काटनी पड़ती है। हल्कू अपने खेत को नीलगायों से बचाने के लिए रातभर पहरेदारी करता है लेकिन पूस की उस रात खेतों को नहीं बचा पाता।
Explanation:
हल्कू अपने खेत के किनारे ऊख के पतों की एक छतरी के नीचे बांस के खटोले पर अपनी पुरानी गाढ़े की चादर ओढ़े पड़ा कांप रहा था. खाट के नीचे उसका संगी कुत्ता जबरा पेट मे मुंह डाले सर्दी से कूं-कूं कर रहा था. दो में से एक को भी नींद न आती थी ।
‘पूस की रात’ कहानी एक प्रकार से मानव के आर्थिक शोषण और समाज की व्यवस्था पर व्यंग के रूप में लिखी है और प्रेमचन्द जी अपनी स्वयं की काल्पनिक विचारधाराओं का एक नया मोड़ भी है।
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जारीप्रसाद द्विवेदी
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रीतिकाल में श्रृंगार और लक्षण ग्रंथों की रचना की गई थी। रीतिकाल हिंदी साहित्य में वह काल था, जिसमें श्रृंगार और लक्षण संबंधित ग्रंथों की भरमार थी। रीतिकाल का समय सन 1700 ई के आसपास का माना जाता है। इस काल में दरबारी संस्कृति को प्रधानता मिली थी और श्रृंगार रस से संबंधित रचनाओं की अधिकता बनाई गई थी।
रीतिकाल में श्रृंगार और लक्षण ग्रंथों की रचना की गई थी। रीतिकाल हिंदी साहित्य में वह काल था, जिसमें श्रृंगार और लक्षण संबंधित ग्रंथों की भरमार थी। रीतिकाल का समय सन 1700 ई के आसपास का माना जाता है। इस काल में दरबारी संस्कृति को प्रधानता मिली थी और श्रृंगार रस से संबंधित रचनाओं की अधिकता बनाई गई थी।
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दामुल का कैदी कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं।
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साहित्यकार के रूप में लल्लू लालजी किस पायदान पर हैं, इसका मूल्यांकन करना तो आलोचकों का काम है, लेकिन यह सब मानते हैं कि हिन्दी के विकास में उनका योगदान है। 1804 ई. से 1810 ई. के बीच लिखी गई उनकी कृति 'प्रेमसागर' कृष्ण की लीलाओं व भागवत पुराण के दसवें अध्याय पर आधारित थी।
साहित्यकार के रूप में लल्लू लालजी किस पायदान पर हैं, इसका मूल्यांकन करना तो आलोचकों का काम है, लेकिन यह सब मानते हैं कि हिन्दी के विकास में उनका योगदान है। 1804 ई. से 1810 ई. के बीच लिखी गई उनकी कृति ‘प्रेमसागर’ कृष्ण की लीलाओं व भागवत पुराण के दसवें अध्याय पर आधारित थी।
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विद्यापति का जन्म मृत्यु का सही विकल्प 1380-1460 है।
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नाटक कितने प्रकार के होते हैं?
नाटक चार प्रकार के होते हैं।
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