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  1. वर्गीकरण की दृष्टि से हिंदी के आदिकालीन साहित्य को तीन वर्गों में बाँटा जाता है - धार्मिक, लौकिक एवं इतर साहित्य; नाथ साहित्य इनमें से धार्मिक साहित्य के वर्ग में आता है, और इस वर्ग में अन्य हैं - सिद्ध साहित्य और जैन साहित्य। सिद्धों के महासुखवाद के विरोध में नाथ पंथ का उदय हुआ। नाथों की संख्या नौRead more

    वर्गीकरण की दृष्टि से हिंदी के आदिकालीन साहित्य को तीन वर्गों में बाँटा जाता है – धार्मिक, लौकिक एवं इतर साहित्य; नाथ साहित्य इनमें से धार्मिक साहित्य के वर्ग में आता है, और इस वर्ग में अन्य हैं – सिद्ध साहित्य और जैन साहित्य। सिद्धों के महासुखवाद के विरोध में नाथ पंथ का उदय हुआ। नाथों की संख्या नौ है।
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  2. रासो साहित्य की विशेषताएँ :- इन रचनाओं में कवियों द्वारा अपने आश्रयदाताओं के शौर्य एवं ऐश्वर्य का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया गया है। यह साहित्य मुख्यतः राव (भाट) चारण कवियों द्वारा रचा गया। इन रचनाओं में ऐतिहासिकता के साथ-साथ कवियों द्वारा अपनी कल्पना का समावेश भी किया गया है।

    रासो साहित्य की विशेषताएँ :- इन रचनाओं में कवियों द्वारा अपने आश्रयदाताओं के शौर्य एवं ऐश्वर्य का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया गया है। यह साहित्य मुख्यतः राव (भाट) चारण कवियों द्वारा रचा गया। इन रचनाओं में ऐतिहासिकता के साथ-साथ कवियों द्वारा अपनी कल्पना का समावेश भी किया गया है।
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  3. This answer was edited.

    इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प 1 हैं। प्रेमचन्द ने 'जागरण' नामक समाचार पत्र तथा 'हंस' नामक मासिक साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन किया था।

    इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प 1 हैं।

    प्रेमचन्द ने ‘जागरण‘ नामक समाचार पत्र तथा ‘हंस’ नामक मासिक साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन किया था।

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  4. रीतिबद्ध काव्यधारा उन कवियों की है जिन्होंने राजाओं (उनकी पत्नी या प्रेमिकाओं) को शास्त्रीय ज्ञान देने के लिए लक्षण ग्रंथों की रचना की। ये कवि पहले संस्कृत से काव्य लक्षण या सिद्धांत का अनुवाद ब्रज भाषा में करते, उसके बाद उदाहरण के रूप में कविता लिखते थे।

    रीतिबद्ध काव्यधारा उन कवियों की है जिन्होंने राजाओं (उनकी पत्नी या प्रेमिकाओं) को शास्त्रीय ज्ञान देने के लिए लक्षण ग्रंथों की रचना की। ये कवि पहले संस्कृत से काव्य लक्षण या सिद्धांत का अनुवाद ब्रज भाषा में करते, उसके बाद उदाहरण के रूप में कविता लिखते थे।
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  5. 'लाल पान की बेगम' में बिरजु की माँ की बहुत छोटी-सी इच्छा है। वह अपनी बैलगाड़ी में बैठकर नाच देखने जाना चाहती है। कहानी इस वाक्य से उठती है कि ‛बिरजू की माँ नाच देखने नहीं चलोगी?'' लेकिन बिरजू का बप्पा बैलगाड़ी लेकर नहीं आया है और नाच देखने की बेला गुजरी जा रही है। इंतजार करते-करते बिरजू की माँ खीझ रRead more

    लाल पान की बेगम‘ में बिरजु की माँ की बहुत छोटी-सी इच्छा है। वह अपनी बैलगाड़ी में बैठकर नाच देखने जाना चाहती है। कहानी इस वाक्य से उठती है कि ‛बिरजू की माँ नाच देखने नहीं चलोगी?” लेकिन बिरजू का बप्पा बैलगाड़ी लेकर नहीं आया है और नाच देखने की बेला गुजरी जा रही है। इंतजार करते-करते बिरजू की माँ खीझ रही है।

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  6. This answer was edited.

    आचार्य शुक्ल की आलोचना संबंधी मान्यताओं को सैद्धान्तिक स्तर पर चुनौती देने वाले विद्वान "हजारी प्रसाद द्विवेदी"  हैं

    आचार्य शुक्ल की आलोचना संबंधी मान्यताओं को सैद्धान्तिक स्तर पर चुनौती देने वाले विद्वान हजारी प्रसाद द्विवेदी”  हैं

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