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नयनयारो की संख्या कितनी है
कुल 63 नयनारों ने शैव सिद्धान्तो के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी प्रकार विष्णु के भक्त सन्तों को आलवार कहते हैं। ये सभी नायत्मार मुक्तात्मा माने जाते हैं। इनकी मूर्तियाँ मंदिरों में स्थापित की गई है और इनकी पूजा भगवान के समान ही की जाती है।
कुल 63 नयनारों ने शैव सिद्धान्तो के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी प्रकार विष्णु के भक्त सन्तों को आलवार कहते हैं। ये सभी नायत्मार मुक्तात्मा माने जाते हैं। इनकी मूर्तियाँ मंदिरों में स्थापित की गई है और इनकी पूजा भगवान के समान ही की जाती है।
See lessआदिकालीन साहित्य का प्रमुख रस
आदिकालीन साहित्य का प्रमुख रस “श्रृंगार” माना गया है।
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See lessनाट्यवृत्तिया कितनी होती है
आचार्य धनञ्जय के अनुसार नायक के मानसिक, वाचिक, कायिक व्यवहार ही नाट्य की वृत्तियाँ कहलाती हैं। आचार्य धनञ्जय तथा भरत ने भी नाट्य की “चार” वृत्तियाँ स्वीकार की हैं।
आचार्य धनञ्जय के अनुसार नायक के मानसिक, वाचिक, कायिक व्यवहार ही नाट्य की वृत्तियाँ कहलाती हैं। आचार्य धनञ्जय तथा भरत ने भी नाट्य की “चार” वृत्तियाँ स्वीकार की हैं।
See lessरामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा सम्पादित दो पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उन्होंने (“तरुण भारत, किसान मित्र, बालक, युवक, कर्मवीर, हिमालय, नई धारा, योगी, जनता, जनवाणी”) आदि अनेक साप्ताहिक व मात्रिक पत्र-पत्रिकाओं का सफलतापूर्वक संपादन करके एक लोकप्रिय संपादक के रूप में यश उन्होंने प्राप्त किया।
उन्होंने (“तरुण भारत, किसान मित्र, बालक, युवक, कर्मवीर, हिमालय, नई धारा, योगी, जनता, जनवाणी”) आदि अनेक साप्ताहिक व मात्रिक पत्र-पत्रिकाओं का सफलतापूर्वक संपादन करके एक लोकप्रिय संपादक के रूप में यश उन्होंने प्राप्त किया।
See lessजांति-पांति पूछ नहीं कोई, हरि का भजै सो हरि का होई'—ये पंक्तियां किसकी है?
जाति-पांति पूछे ना कोई- हरि को भजै सो हरि का होई यह नारा स्वामी रामानंद ने दिया था|
जाति-पांति पूछे ना कोई- हरि को भजै सो हरि का होई यह नारा स्वामी रामानंद ने दिया था|
See less‘काशी’ नागरी प्रचारिणी पत्रिका के सम्पादक का नाम लिखिए।
इसके सम्पादक 'श्यामसुन्दर दास, महामहोपाध्याय सुधाकर द्विवेदी, कालीदास और राधाकृष्ण दास' थे।
इसके सम्पादक ‘श्यामसुन्दर दास, महामहोपाध्याय सुधाकर द्विवेदी, कालीदास और राधाकृष्ण दास’ थे।
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