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'सृजन' के आधार पर सुभद्रा कुमारी चौहान के कहानी-संग्रह का नाम बताइए।
बिखरे मोती
बिखरे मोती
See less'जॉर्ज पंचम की नाक' कहानी किसने लिखी है?
इस कहानी के लेखक “कमलेश्वर” है।
इस कहानी के लेखक “कमलेश्वर” है।
राजा निरबंसिया कहानी के लेखक कौन है?
इस कहानी के लेखक "कमलेश्वर" है।
इस कहानी के लेखक “कमलेश्वर” है।
See lessराजा निरबंसिया कहानी का प्रकाशन वर्ष क्या है?
1957 ई.
1957 ई.
See lessलाल पान की बेगम कहानी की मूल संवेदना क्या है स्पष्ट कीजिए?
इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि एक स्त्री भी अपने जीवन को अपने इच्छा और अपनी शर्तों पर जीना चाहती है। स्त्री भी आत्मसम्मान चाहती है। ऐसी कोई भी कुप्रथा या कुरीति स्त्री को स्वीकार्य नहीं है जो उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाए या उसे दोयम दर्जे का करार दे।
इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि एक स्त्री भी अपने जीवन को अपने इच्छा और अपनी शर्तों पर जीना चाहती है। स्त्री भी आत्मसम्मान चाहती है। ऐसी कोई भी कुप्रथा या कुरीति स्त्री को स्वीकार्य नहीं है जो उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाए या उसे दोयम दर्जे का करार दे।
See lessप्रगतिवाद की प्रमुख प्रवृत्तियों में से कौनसी प्रवृत्ति नहीं थी ?
प्रगतिवाद की प्रमुख प्रवृत्तियों में प्रकृति चित्रण को प्रधानता नहीं दी गयी है।
प्रगतिवाद की प्रमुख प्रवृत्तियों में प्रकृति चित्रण को प्रधानता नहीं दी गयी है।
हिंदी की ‘नई कहानी’ की महिला कहानीकारों के नाम?
महिला कहानीकार सुभद्रा कुमारी चौहान- (1) बिखरे मोती (1932), (2) उन्मादिनी (1934) कमला चौधरी- (1) उन्माद (1934) सुमित्रा कुमारी सिन्हा- (1) अचल सुहाग (1939), (2) वर्षगाँठ (1942) होमवती- (1) निसर्ग (1939) शिवरानी देवी- (1) कौमुदी (1937) चन्द्रकिरण सौनरेक्सा- (1) आदमखोर (1945)
मिश्रबंधुओं ने किस कवि को हिंदी का प्राचीन समालोचक माना है?
मिश्रबंधुओं ने "भिखारीदास जी" को हिंदी का प्राचीन समालोचक कवि माना है।
मिश्रबंधुओं ने “भिखारीदास जी” को हिंदी का प्राचीन समालोचक कवि माना है।
See lessमिश्रबंधुओ ने हिंदी का चासर किसे कहा है?
मिश्रबंधुओ ने हिंदी का चासर चन्दबरदाई जी को कहा है।
मिश्रबंधुओ ने हिंदी का चासर चन्दबरदाई जी को कहा है।
“देव हिन्दी के भिखारी कवि है|” वाक्य किस विद्वान का है?
“देव हिन्दी के भिखारी कवि है|” यह वाक्य लाला भगवानदीन विद्वान का है।
“देव हिन्दी के भिखारी कवि है|” यह वाक्य लाला भगवानदीन विद्वान का है।
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