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घनानंद किस काव्य – धारा के कवि है ?
घनानंद (१६७३- १७६०) रीतिकाल की तीन प्रमुख "काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त " के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं। ये 'आनंदघन' नाम स भी प्रसिद्ध हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिमुक्त घनानन्द का समय सं. १७४६ तक माना है। इस प्रकार आलोच्य घनानन्द वृंदावन के आनन्दघन हैं। शुक्ल जी के विचRead more
घनानंद (१६७३- १७६०) रीतिकाल की तीन प्रमुख “काव्यधाराओं– रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त ” के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं। ये ‘आनंदघन’ नाम स भी प्रसिद्ध हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिमुक्त घनानन्द का समय सं. १७४६ तक माना है। इस प्रकार आलोच्य घनानन्द वृंदावन के आनन्दघन हैं। शुक्ल जी के विचार में ये नादिरशाह के आक्रमण के समय मारे गए। श्री हजारीप्रसाद द्विवेदी का मत भी इनसे मिलता है। लगता है, कवि का मूल नाम आनन्दघन ही रहा होगा, परंतु छंदात्मक लय-विधान इत्यादि के कारण ये स्वयं ही आनन्दघन से घनानन्द हो गए। अधिकांश विद्वान घनानन्द का जन्म दिल्ली और उसके आस-पास का होना मानते हैं।
See less”कविता के नए प्रतिमान”में किस लेखक को केंद्र में रखकर आलोचक हिंदी कविता को समझने का प्रयास किया?
मुक्तिबोध
मुक्तिबोध
See lessनिम्न में से कौन-सी कहानी प्रेमचंद जी की नहीं है?
'पुरुस्कार' कहानी के लेखक सुप्रसिद्ध छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद हैं।
‘पुरुस्कार’ कहानी के लेखक सुप्रसिद्ध छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद हैं।
See lessकमलेश्वर द्वारा रचित कहानी नहीं है?
'एक और जिन्दगी' मोहन राकेश की श्रेष्ठ एवं चर्चित कहानी है। यह कहानी पति पत्नी के दाम्पत्य सम्बन्घों पर प्रकाश डालने वाली बहुचर्चित कहानी है। अन्य सभी कहानी जैसे की मांस का दरिया, राजा निरबंसिया और कस्बे का आदमी यह कहानियाँ कमलेश्वर द्वारा रचित हैं।
‘एक और जिन्दगी’ मोहन राकेश की श्रेष्ठ एवं चर्चित कहानी है। यह कहानी पति पत्नी के दाम्पत्य सम्बन्घों पर प्रकाश डालने वाली बहुचर्चित कहानी है। अन्य सभी कहानी जैसे की मांस का दरिया, राजा निरबंसिया और कस्बे का आदमी यह कहानियाँ कमलेश्वर द्वारा रचित हैं।
कमलेश्वर का प्रथम कहानी संग्रह कौन सा है?
"कमलेश्वर" के प्रथम कहानी संग्रह "राजा निरबंसिया" हैं। जिसका प्रकाशित वर्ष 1957 ई. हैं। कमलेश्वर की कहानीराजा निरबंसिया के बारे में और जाने के लिए CLICK HERE
“कमलेश्वर” के प्रथम कहानी संग्रह “राजा निरबंसिया” हैं। जिसका प्रकाशित वर्ष 1957 ई. हैं।
कमलेश्वर की कहानीराजा निरबंसिया के बारे में और जाने के लिए CLICK HERE
See lessराजा निरबंसिया कहानी की समीक्षा कीजिए?
'राजा निरबसिया' कहानी कस्बाई जीवन पर आधारित है, जो आम आदमी की ही कथा कहती है। कमलेश्वर ने दो भिन्न युगों की कहानियों को निरबंसिया कहानी आर्थिक विवशताओं, निरुपताओं द्वारा दांपत्य सम्बन्धों की समान्तर रूप से इस कहानी में रख दिया है। एक ही समय में पुराने तथा आधुनिक युग की दो कहानियाँ साथ चलती है। राजाRead more
‘राजा निरबसिया’ कहानी कस्बाई जीवन पर आधारित है, जो आम आदमी की ही कथा कहती है। कमलेश्वर ने दो भिन्न युगों की कहानियों को निरबंसिया कहानी आर्थिक विवशताओं, निरुपताओं द्वारा दांपत्य सम्बन्धों की समान्तर रूप से इस कहानी में रख दिया है। एक ही समय में पुराने तथा आधुनिक युग की दो कहानियाँ साथ चलती है।
राजा निरबसिया की पूरी कहानी पढ़े : Click Here
नीली झील, राजा निरबंसिया, जिंदा मुर्दे, कस्बे का आदमी नामक कहानियां किस कहानीकार से संबंधित हैं ?
नीली झील, राजा निरबंसिया, जिंदा मुर्दे, कस्बे का आदमी नामक कहानियां किस 'कमलेश्वर" से संबंधित हैं।
नीली झील, राजा निरबंसिया, जिंदा मुर्दे, कस्बे का आदमी नामक कहानियां किस ‘कमलेश्वर” से संबंधित हैं।
See lessलाल पान की बेगम कौन सी विधा है?
लाल पान की बेगम कहानी विधा है। प्रस्तुत कहानी लाल पान की बेगम फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित ग्रामीण जीवन की कहानी है। इसमें कहानीकार ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि गांव में लोग किस तरह एक – दूसरे के साथ ईर्ष्या – द्वेष, राग – विराग, आशा – निराशा तथा हर्ष – विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते हRead more
लाल पान की बेगम कहानी विधा है। प्रस्तुत कहानी लाल पान की बेगम फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित ग्रामीण जीवन की कहानी है। इसमें कहानीकार ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि गांव में लोग किस तरह एक – दूसरे के साथ ईर्ष्या – द्वेष, राग – विराग, आशा – निराशा तथा हर्ष – विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते हैं। कहानी की नायिका बिरजू की मां है।
See lessलालपान की बेगम किसकी कहानी है?
लाल पान की बेगम "फणीश्वरनाथ रेणु' की कहानी है।
लाल पान की बेगम “फणीश्वरनाथ रेणु’ की कहानी है।
See lessराजा निरबंसिया किसकी रचना है?
राजा निरबंसिया कमलेश्वर रचना है।
राजा निरबंसिया कमलेश्वर रचना है।
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