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आयो घोष बड़ो व्योपारी। लादि खेप गुन ज्ञान-जोग की ब्रज में आन उतारी।। फाटक देकर हाटक माँगत भोरै निपट सुधारी। धुर ही तें खोटी खायो है लये फिरत सिर भारी।। उपरोक्त गीत किस राग में है-
आयो घोष बड़ो व्योपारी। लादि खेप गुन ज्ञान-जोग की ब्रज में आन उतारी।। फाटक देकर हाटक माँगत भोरै निपट सुधारी। धुर ही तें खोटी खायो है लये फिरत सिर भारी।। उपरोक्त गीत काफी राग में है।